दिमाग की सेहत बिगाड़ रहा है कोरोना

दिमाग की सेहत बिगाड़ रहा है कोरोना

सेहतराग टीम

दुनियाभर में हर रोज लाखों कोरोना के नए मामले आ रहे हैं। वहीं आए दिन कोरोना के कुछ ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जिनके लक्षण बिल्कुल अलग है। सांस लेने में तकलीफ, सूखी खांसी, तेज बुखार, गले में सूजन, थकावट कोरोना के प्रमुख लक्षण हैं। वहीं कोरोना संक्रमण के साथ कई-कई तरह की न्यूरो संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं, जिनकी अनदेखी भविष्य में बड़ी समस्या बन सकती हैं।

पढ़ें- ICMR ने तैयार की खास एंटी-सीरम, कोरोना के इलाज में होगी मददगार

कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला प्रभाव श्वसनतंत्र पर पड़ता है। इसके बाद यह शरीर के दुसरे अंगों को अपनी चपेट में ले लेता है, लेकिन इसके संक्रमण से मुक्ति मिलने के बाद कुछ मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखने को मिले यानी कोरोना दिमाग संबंधी बीमारियों का कारण है। इसमें ठीक होने के बाद स्ट्रोक का शिकार होना, नशों में शिथिलता, लकवा, चेहरा का टेढ़ापन, कन्फ्यूजन, लॉस ऑफ स्मैल अचानक स्वभाव में बदलाव और एक आंख का ठीक से ना खुलना जैसी परेशानियां देखने को मिली हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस मरीजों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल रहा है।

इंसान के दिमाग पर कैसे अटैक कर रहा कोरोना?

कोरोना वायरस के मरीजों पर स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज, मेमोरी लॉस, सिरदर्द जैसे लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं। जॉन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी के एमडी रॉबर्ट स्टीवन्स के मुताबिक, करीब आधे मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिख रहे हैं, जोकि चिंता की बात है। इसके अलावा कोरोना के कुछ मरीजों में तो 'कॉमन पेरिफेरल नर्व' से जुड़ी समस्या भी देखने को मिली, जो पैरालाइज और रेस्पिरेटरी फेलियर का कारण बन सकती हैं। बता दें कि कोरोना के कारण फैले सार्स और मर्स में भी ऐसे ही लक्षण सामने आए थे।

मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक इससे प्रभावित होने वाले ज्यादातर बुजुर्ग हैं। जिन्हें पहले से ही एलेर्जी, अस्थमा टीबी या फिर श्वसन संबंधी अन्य बीमारियां रही हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में वे मरीज भी देखे जा रहे हैं, जो न्यूरोसंबंधी बीमारी जा लंबे समय से इलाज ले रहे हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि पूर्ण रूप से स्वस्थ युवा व्यक्ति के फेफड़े भी कोरोना संक्रमण में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और यदि कोई बुजुर्ग संक्रमित हुआ है तो जाहिर है कि उस पर इसका असर अधिक पड़ता है। ऐसे में ठीक होने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इससे मस्तिष्क प्रभावित होता है और न्यूरो संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे लकवा, सूघने की क्षमता का कम होनाम शरीर के किसी अंग का सुन्न पड़ना या नसों में इस तरह की शिथिलता पैदा होना कि बिना सहारे चलना मुश्किल हो और ये लक्षण हर उम्र के रोगियों में पाए जा रहे हैं।

जो लोग पहले से ही न्यूरो संबंधी बीमारी से ग्रसित हैं और कोरोना की चपेट में आए हैं, उनके लिए इस तरह की समस्या का कारण दिमाग से जुडी बीमारियों में दी जाने वाली दवाएं भी हैं। दिमाग की बीमारियों में दी जाने वाली ज्यादातर दवाएं ऐसी होती हैं, जो मरीज के मूल रोग को तो समाप्त या नियंत्रित करती हैं, लेकिन इम्यूनिटी पर बुरा असर डालती हैं। अगर कोरोना से थी होने के बाद कोई न्यूरोसंबंधी समस्या हो तो इसे टाले नहीं बल्कि शुरूआती अवस्था में ही डॉक्टर से सलाह लें। रोग की स्तिथि बिगड़ने पर यह बड़ी समस्या बन सकती है।

 

इसे भी पढ़ें-

भारत में मौत का आंकड़ा 1 लाख के पार, ये रहा मौतों का हिसाब, जानें राज्यवार कोरोना आंकड़े

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।